स्वागत
असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति एक प्रमुख हिंदी संस्था है, जो पूर्वोत्तर के आठों राज्यों में भारत की आजादी के काफी पहले से हिंदी के प्रचार-प्रचार का कार्य कर रही है। यह सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1860 के नियम 21 तहत रजिस्टर्ड है। हम समिति के वेबसाइट www.arpsguwahati.com पर आपका स्वागत करते हैं।
असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति (ARPS)
- स्थापित : 3 नवंबर, 1938
- संस्थापक अध्यक्ष : भारतरत्न लोकप्रिय गोपीनाथ बरदलै
- स्थान : भारत
- भाषा : हिंदी
- ध्येय : एक हृदय हो भारत जननी
- प्रकार : सार्वजनिक
- कार्यक्षेत्र : पूर्वोत्तर भारत (असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश,नगालैंड, मणिपुर, त्रिपुरा, मिजोरम और सिक्किम)
- जालस्थल : arpsguwahati.com
समिति के प्रमुख उद्देश्य
- पूरे पूर्वोत्तर क्षेत्र में, आवश्यकतानुसार अन्य हिंदीतर राज्यों में राष्ट्रभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार करना।
- राष्ट्रभाषा हिंदी के आवश्यक ज्ञान की अभिवृद्धि हेतु हिंदी परीक्षाओं का संचालन करना।
- हिंदी पाठ्यपुस्तक आदि का निर्माण व प्रकाशन करना। हिंदी भाषा एवं साहित्य की श्रीवृद्धि हेतु उपयोगी पुस्तकें लिखवाना, अनुवाद करना और उन्हें प्रकाशित करना।
- भावात्मक एकता के लिए भाषाई एवं साहित्यिक आदान-प्रदान द्वारा अनुकूल वातावरण तैयार कर भारतीय भाषाओं के बीच सामंजस्य स्थापित करना।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 और 351 के अनुसार भारत गणराज्य द्वारा स्वीकृत देवनागरी लिपि में लिखी जानेवाली राष्ट्रभाषा व राजभाषा हिंदी का प्रचार-प्रसार, विकास और देशव्यापी व्यवहार और कार्यों के लिए सुविधा प्रदान करना।
- हिंदी विद्यालय एवं पुस्तकालय की स्थापना कर हिंदी को बढ़ावा देना।
- हिंदी प्रशिक्षण तथा भाषाई अनुसंधान के लिए प्रयत्न करना।
- प्रांतीय भाषा की चुनींदा कृतियों को हिंदी में तथा हिंदी की कृतियों को प्रांतीय भाषा में अनुवाद करना।
- टंकण, आशुलिपि, अनुवाद और कंप्यूटर प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना कर तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा देना।
- सभा, संगोष्ठी, सम्मेलन आदि का आयोजन कर जन-जन तक हिंदी को पहुँचाना।
- गांधी-दर्शन का प्रचार तथा प्रसार करना।
- पत्रिका का प्रकाशन करना और विशेष रूप से पूर्वोत्तर की लोक-संस्कृति एवं साहित्य को राष्ट्रीय स्तर पर अभिव्यक्त करना।
असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति – एक नजर में
- समिति अब तक एक करोड़ से अधिक लोगों को हिंदी सिखा चुकी है।
- विविध शीर्षक वाली करीब 500 से अधिक हिंदी पुस्तकें प्रकाशित कर चुकी हैं।
- करीब 30 हजार से अधिक हिंदी शिक्षकों, प्रचारकों को तैयार कर चुकी है।
- करीब 300 केंद्रों में हिंदी निःशुल्क वर्गों का संचालन हो रहा है।
- समिति की प्रेरणा से पूर्वोत्तर में हिंदी न सिर्फ मिडिल स्कूलों व हाईस्कूल में बल्कि अनेक कॉलेजों में भी पढ़ाई जा रही है।
- हिंदी शिक्षा के साथ-साथ पूर्वोत्तर की प्रादेशिक भाषाओं तथा उनके साहित्य के समन्वय, आदान-प्रदान तथा हिंदी में मौलिक सृजन-प्रक्रिया में भी समिति मार्गदर्शन कर रही है।
- समिति की परीक्षाओं में हर वर्ष लगभग 50 हजार परीक्षार्थी सम्मिलित होते हैं।